नई दिल्ली: गोल्डकोस्ट में आखिरकार भारत ने इतिहास रच दिया। रविवार को कुल 66 मैडल के साथ भारत ने कॉमनवैल्थ गेम्स में अपनी पारी समाप्त की। यह पिछले ग्लास्गो कॉमनवैल्थ गेम्स से दो मैडल ज्यादा है। लेकिन गोल्डकोस्ट कॉमनवैल्थ इसलिए खास है क्योंकि इसने कई भारतीय खेल की कई परंपराएं तोड़ीं। हमें नए खेलों में नए चैंपियन मिले। पहलवानी हो, बॉक्सिंग हो चाहे बैडमिंटन भारतीय खिलाडिय़ों ने उम्मीद मुताबिक अच्छा प्रदर्शन किया। सबसे ज्यादा हैरान भारतीय टेबल टेनिस टीम ने किया। खास तौर पर नई दिल्ली की मनिका बत्रा ने। मनिका कॉमनवैल्थ गेम्स में टेबल टैनिस वर्ग से अकेले ही चार मैडल जीतने वाली पहली भारतीय भी बन गई हैं। गेम्स के आखिरी दिन भारत को सात्विक रैड्डी और चिराग शेट्टी ने बैडमिंटन डबल में सिल्वर दिलाया। यह भारत का 66वां पदक था। बता दें कि कॉमनवैल्थ गेम्स में अब भारत कुल मिलाकर 505 मैडल जीत चुका है।
इस बार भारत ने कुल 66 मेडल जीते. इसमें 26 गोल्ड शामिल है. इसके अलावा भारत ने 20 सिल्वर और 20 ब्रॉन्ज मेडल जीते. गोल्ड कोस्ट में भारतीय दल ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बाद तीसरे पायदान पर रहा. हालांकि 2010 में भारत ने दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों में 101 पदक जीते थे. वहीं 2002 के मैनचेस्टर खेलों में उसे कुल 69 मेडल मिले थे.
आजादी से पहले भारत को मिले थे सिर्फ दो मैडल
कॉमनवैल्थ गेम्स की शुरुआत 1930 में हुई थी। हर चार साल बाद होने वाली यह गेम्स 1942 और 1946 में वल्र्ड वार के चलते हो नहीं पाई थी लेकिन उसके बाद से लगातार यह गेम्स हो रही हैं। इन गेम्स का कई बार नाम बदला गया। 1930 में इसे ब्रिटिश इम्पायर गेम्स के नाम से जाना जाता था। लेकिन 1954 में इसे बदलकर ब्रिटिश इम्पायर एंड कॉमनवैल्थ गेम्स रख दिया गया। 1970 में इसे ब्रिटिश कॉमनवैल्थ गेम्स कहा गया। लेकिन उसके बाद इसे सिर्फ कॉमनवैल्थ गेम्स कहा जाने लगा। फर्क सिर्फ इतना है कि जिस जगह पर यह गेम होती हैं, उस शहर का नाम अब कॉमनवैल्थ गेम्स के आगे लग जाता है। जैसे कि इस बार ऑस्ट्रेलिया में हुई इस गेम का नाम था गोल्डकोस्ट कॉमनवैल्थ गेम्स।
1990 के बाद भारतीय खिलाडिय़ों ने पकड़ी रफ्तार
1990 की कॉमनवैल्थ गेम्स भारत के लिए बेहद खास हैं, क्योंकि यह वह ही गेम थी जिसमें भारत ने पहली बार दहाई का आंकड़ा पार किया था। भारत ने इन गेम्स में तब 13 गोल्उ और 32 पदक हासिल किए थे, जोकि उस समय बड़ी उपलब्धि माना गया। बता दें कि भारत आाजादी से पहले भी दो बार कॉमनवैल्थ गेम्स में हिस्सा ले चुका था। लेकिन इनमें उन्हें सिर्फ दो ही पदक हासिल हुए थे। आजादी के बाद 1954 में भारत ने इन गेम्स में हिस्सा लिया लेकिन कोई भी भारतीय खिलाड़ी मैडल नहीं जीत पाया। 1958 में जाकर भारतीय खिलाडिय़ों ने आजाद भारत का कॉमनवैल्थ गेम्स में खाता खोला। तब भारतीय खिलाडिय़ों ने 2 गोल्ड समेत तीन मैडल जीते थे।
इन खेलों में मिला पदक
भारत ने वेटलिफ्टिंग में कुल 9 पदक जीते. इसमें पांच गोल्ड, दो सिल्वर और दो ब्रॉन्ज हैं. मीराबाई चानू, संजीता चानू ने भारत को गोल्ड दिलाया. इसके अलावा बनारस की रहने वाली पूनम यादव ने भी देश के लिए सोना जीता. रेसलिंग में भारत ने 5 गोल्ड, तीन सिल्वर और चार ब्रॉन्ज समेत कुल 12 मेडल जीते.
शूटिंग में शानदार कामयाबी
शूटिंग में इस बार भारतीय निशानेबाजों ने 7 गोल्ड समेत कुल 16 मेडल जीते. अनीश भानवाला, मेहुली घोष और मनु भाकर जैसे निशानेबाजों के अलावा हीना सिद्धू, जीतू राय और तेजस्विनी सावंत जैसी अनुभवी निशानेबाजों ने भी भारत के लिए पदक जीते.
बैडमिंटन में बरसा सोना-चांदी
बैडमिंटन में भारत ने 6 पदक जीते. भारत ने मिक्स्ड टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीता. साथ ही महिला एकल में भी साइना नेहवाल ने पीवी सिंधु को हराकर सोना अपने नाम किया. पुरुष एकल मुकाबले में भारत के किदांबी श्रीकांत को फाइनल में ओलिंपिक सिल्वर मेडलिस्ट मलयेशिया के ली चेंग वेई से हार का सामना करना पड़ा. श्रीकांत ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया. बॉक्सिंग में भारत ने कुल 9 पदक जीते.
भारत के कॉमनवेल्थ में अब तक के 4 सबसे अच्छे प्रदर्शन
वर्ष स्थान गोल्ड सिल्वर ब्रॉन्ज कुल
2010 दिल्ली 38 27 36 101
2002 मेनचेस्टर 30 22 17 69
2018 गोल्डकोस्ट 26 20 20 66
2014 ग्लास्गो 15 30 19 64
आखिरी दिन इस तरह रहा भारतीय खिलाडिय़ों का प्रदर्शन
बैडमिंटन : महिला सिंगल्स में सायना नेहवाल और पीवी सिंधु आमने-सामने थीं। हाई वोल्टेज ड्रामे में साइना ने एक बार फिर अपनी श्रेष्ठता दिखाते हुए गोल्ड पर कब्जा जमाया। रियो ओलंपिक में सिल्वर मैडल विजेता पीवी सिंधु ने हालांकि फाइनल में साइना को कड़ी टक्कर दी लेकिन वह साइना के अनुभव से पार नहीं पा सकीं। साइना इससे कॉमनवैल्थ गेम्स में दो गोल्ड पाने वाली अकेली बैडमिंटन प्लेयर भी बन गई हैं। 56 मिनट तक चले फाइनल में उन्होंने सिंधु को 21-18, 23-21 से हराया।