मंगलवार का दिन भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए दोहरी खुशी लेकर आया। एक तरफ पुणे में घरेलू क्रिकेट के दिग्गजों ने अपनी ताकत दिखाई, तो दूसरी तरफ दुबई में जूनियर टीम ने इतिहास रच दिया। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में जहां मुंबई ने राजस्थान के खिलाफ एक असंभव से दिख रहे लक्ष्य को बौना साबित कर दिया, वहीं अंडर-19 एशिया कप में भारत ने मलेशिया को करारी शिकस्त दी।
पुणे में सरफराज खान का तूफान
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के सुपर लीग ग्रुप बी मैच में मुंबई के सामने 217 रनों का विशाल लक्ष्य था। आम तौर पर ऐसे स्कोर का पीछा करना मुश्किल होता है, लेकिन मुंबई के बल्लेबाजों ने इसे मजाक बना दिया। अनुभवी अजिंक्य रहाणे और युवा सनसनी सरफराज खान ने मैदान के चारों ओर शॉट्स की बरसात कर दी। रहाणे ने जहां एक छोर संभालते हुए 41 गेंदों में नाबाद 72 रनों की सूझबूझ भरी पारी खेली, वहीं सरफराज खान ने तो जैसे गेंदबाजों पर रहम ही नहीं खाया। उन्होंने महज 22 गेंदों में 73 रन कूट दिए, जिसमें 7 गगनचुंबी छक्के और 6 चौके शामिल थे।
इन दोनों के बीच दूसरे विकेट के लिए महज 39 गेंदों में 111 रनों की साझेदारी हुई, जिसने मैच का रुख पूरी तरह मुंबई की ओर मोड़ दिया। यशस्वी जायसवाल (15) के जल्दी आउट होने के बाद, इस साझेदारी ने मुंबई की जीत की नींव रखी।
लड़खड़ाती पारी को अथर्व ने दी दिशा
मानव सुथार ने अपनी फिरकी के जाल में सरफराज को फंसाकर राजस्थान को थोड़ी राहत जरूर दी। इसके बाद मुंबई की पारी थोड़ी डगमगाई भी। अंगकृष रघुवंशी, साईराज पाटिल और यहां तक कि कप्तान शार्दुल ठाकुर भी कुछ खास नहीं कर सके और विकेटों की झड़ी लग गई। लेकिन, निचले क्रम में आए अथर्व अंकोलेकर ने संकटमोचक की भूमिका निभाई। उन्होंने सिर्फ 9 गेंदों में 26 रन जड़ दिए, जिसमें तीन छक्के शामिल थे। अंततः शम्स मुलानी के साथ मिलकर रहाणे ने 11 गेंद शेष रहते ही टीम को 3 विकेट से जीत दिला दी।
इससे पहले, राजस्थान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 4 विकेट पर 216 रन बनाए थे। दीपक हुड्डा (51) और मुकुल चौधरी (54 नाबाद) ने शानदार अर्धशतक जमाए थे, लेकिन मुंबई की बल्लेबाजी के आगे यह स्कोर छोटा पड़ गया।
दुबई में अभिज्ञान कुंडू का ऐतिहासिक कारनामा
दूसरी ओर, दुबई में चल रहे अंडर-19 एशिया कप में भारतीय टीम ने मलेशिया के खिलाफ अपना दबदबा कायम रखा। इस मैच के हीरो रहे विकेटकीपर बल्लेबाज अभिज्ञान कुंडू। 11वें ओवर में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए कुंडू ने अंत तक नाबाद रहते हुए 125 गेंदों में 209 रनों की मैराथन पारी खेली। उनकी इस पारी की बदौलत भारत ने 7 विकेट पर 408 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा किया।
शुरुआत में वैभव सूर्यवंशी ने 26 गेंदों में 50 रन बनाकर तेज शुरुआत दी थी, लेकिन असली खेल कुंडू और वेदांत त्रिवेदी (90) ने दिखाया। दोनों ने चौथे विकेट के लिए 209 रनों की साझेदारी की। त्रिवेदी के आउट होने के बाद कुंडू ने अपना गियर बदला और आखिरी 10 ओवरों में तो मलेशियाई गेंदबाजों की जमकर खबर ली।
रिकॉर्ड्स और गेंदबाजी में भी भारत का जलवा
हालांकि, यह मैच ‘आधिकारिक यूथ वनडे’ नहीं था, इसलिए रिकॉर्ड बुक्स में दक्षिण अफ्रीका के जोरिच वैन शल्कविक का दोहरा शतक ही आधिकारिक माना जाएगा। फिर भी, कुंडू का यह प्रदर्शन काबिल-ए-तारीफ है। इससे पहले 2012 में बांग्लादेश के सौम्या सरकार ने भी कतर के खिलाफ अनौपचारिक मैच में दोहरा शतक लगाया था।
जवाब में, 409 रनों का पीछा करने उतरी मलेशियाई टीम भारतीय गेंदबाजों के आगे बेबस नजर आई। मध्यम तेज गेंदबाज दीपेश देवेंद्रन ने कहर बरपाते हुए 5 विकेट झटके। उन्होंने अपने पहले पांच ओवरों में हर ओवर में एक विकेट लिया, जिससे मलेशिया का स्कोर एक समय 38 रन पर 7 विकेट हो गया था। अंत में हमज़ा पांगी और जाश्विन ने कुछ संघर्ष किया, लेकिन पूरी टीम महज 93 रनों पर ढेर हो गई।
इस धमाकेदार जीत के साथ भारत ग्रुप ए की अंक तालिका में शीर्ष पर है, जबकि पाकिस्तान और यूएई को हराने के बाद अब भारत के हौसले और भी बुलंद हैं। मलेशिया के लिए यह टूर्नामेंट भूलने लायक रहा, क्योंकि उन्हें अपनी पिछली हारों का सिलसिला यहां भी जारी रखना पड़ा।