भारतीय ऑटोमोबाइल डीलर्स जून में मांग को लेकर सतर्क रुख अपना रहे हैं। इसकी मुख्य वजहें हैं — डीलरशिप्स पर गाड़ियों का अधिक स्टॉक, सख्त फाइनेंसिंग शर्तें और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में जरूरी दुर्लभ धातुओं की आपूर्ति में बाधाएं।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के अनुसार, जहां एक ओर सामान्य से बेहतर मानसून अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर और दोपहिया वाहनों की बिक्री को सहारा दे सकता है, वहीं ईवी निर्माण में महत्वपूर्ण दुर्लभ धातुओं की कमी से कुल मांग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
एसोसिएशन के केवल एक-तिहाई सदस्य जून में बिक्री बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि लगभग 55% डीलर्स को बिक्री के स्थिर रहने की आशंका है।
इस साल ऑटो निर्माता और डीलर नए इलेक्ट्रिक वाहन मॉडलों पर भरोसा कर रहे हैं ताकि शहरी इलाकों में पेट्रोल-डीजल वाहनों की धीमी होती बिक्री की भरपाई की जा सके। हालांकि, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आ रही बाधाएं — जैसे दुर्लभ धातुओं की कमी और भू-राजनीतिक तनाव — उपभोक्ता भावना को कमजोर बना सकती हैं, FADA ने कहा।
भारत में ईवी की बिक्री पेट्रोल वाहनों की तुलना में तेजी से बढ़ रही है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2023-24 में बेची गई कुल 43 लाख कारों में इनकी हिस्सेदारी केवल 2.5% ही रही।
चीन द्वारा विभिन्न दुर्लभ धातुओं और उनसे बने मैग्नेट के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बड़ी उथल-पुथल मची है। इससे न केवल ऑटोमोबाइल कंपनियां प्रभावित हुई हैं, बल्कि एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर और रक्षा क्षेत्रों में भी संकट खड़ा हो गया है।
कई वैश्विक वाहन निर्माता पहले ही उत्पादन रुकने की चेतावनी दे चुके हैं। भारतीय कंपनियों ने अभी तक सार्वजनिक रूप से इन प्रतिबंधों के असर की जानकारी नहीं दी है, लेकिन एक प्रमुख ऑटो इंडस्ट्री संगठन ने सरकार को गत माह जानकारी दी थी कि उत्पादन मई के अंत या जून की शुरुआत में ही पूरी तरह से रुक सकता है।
भारत की प्रमुख इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता कंपनी बजाज ऑटो ने भी हाल ही में कहा कि अगर चीन के निर्यात प्रतिबंध समय पर नहीं हटे, तो जुलाई से उनके ई-स्कूटर का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
टीवीएस मोटर ने भी जून या जुलाई से असर की आशंका जताई है।
इसके साथ ही, FADA ने यह भी बताया कि कारों और वाणिज्यिक वाहनों का उच्च इन्वेंटरी स्तर डीलर्स के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। मई महीने में कारों की औसत इन्वेंटरी 52 से 53 दिनों के बीच रही, जो कि FADA की अनुशंसित 21 दिनों की सीमा से काफी अधिक है।